नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। चुनावी माहौल में हर पार्टी जनता को लुभाने के प्रयासों में जुटी है। चुनाव से कुछ हफ्ते पहले, झुग्गियों के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। लाखों झुग्गीवासियों को अपनी ओर खींचने के लिए AAP, BJP और कांग्रेस पूरी ताकत लगा रहे हैं। क्या दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता यहां की झुग्गियों से होकर गुजरता है? आइए जानते हैं इस सियासी समीकरण के बारे में।
झुग्गियों को लेकर केजरीवाल और बीजेपी के आरोप-प्रत्यारोप
अरविंद केजरीवाल की AAP ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि यदि पार्टी सत्ता में आई, तो दिल्ली की झुग्गियों को ध्वस्त करने की योजना बनाई जाएगी। इसके अलावा, केजरीवाल ने गृह मंत्री अमित शाह को चुनौती दी है कि वे झुग्गीवासियों के खिलाफ उठाए गए मामलों को वापस लें। वहीं, बीजेपी ने झुग्गीवासियों के लिए आवास देने का वादा किया है और केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि वे खुद को शीशमहल में बैठाकर झुग्गीवासियों को धोखा दे रहे हैं। कांग्रेस भी पीछे नहीं है, और ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ के नारे के साथ दिल्ली में अपनी खोई हुई जमीन हासिल करने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली में झुग्गियों का आंकड़ा
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में 675 झुग्गियां हैं, जहां लगभग 30 लाख लोग रहते हैं। यह बड़ी संख्या में वोटरों को आकर्षित करता है, जो सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा करने वाली पार्टियों के लिए एक महत्वपूर्ण वोट बैंक बन जाता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 10-15% आबादी मलिन बस्तियों और अनधिकृत कॉलोनियों में रहती थी, जो अब चुनावी सियासत का अहम हिस्सा बन गई है।
झुग्गियों से कितना फायदा?
दिल्ली में लगभग 750 छोटी-बड़ी बस्तियां हैं, जिनमें 3,50,000 से ज्यादा परिवार और 30 लाख लोग रहते हैं। इन मलिन बस्तियों के लाखों वोटरों में से करीब 9-10 लाख लोगों ने वोट डाले थे, और पार्टियां मानती हैं कि वोटों में थोड़ा सा बदलाव भी चुनाव के परिणाम को बदल सकता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 15 से ज्यादा सीटों पर जीत का अंतर 10,000 वोटों से भी कम था। AAP ने 53% वोटों के साथ 62 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 38% वोटों के साथ सिर्फ 8 सीटें मिलीं।
बीजेपी का लक्ष्य वोटों का अंतर पाटना
बीजेपी का लक्ष्य अब उन 15 विधानसभा क्षेत्रों में वोटों का अंतर कम करने का है, जहां जीत का अंतर बहुत कम था। बीजेपी चाहती है कि वह झुग्गीवासियों से अतिरिक्त चार से पांच लाख वोट अपने पक्ष में कर सके, जो चुनावी नतीजों को अहम रूप से प्रभावित कर सकते हैं। वहीं, AAP को कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और AIMIM से सावधान रहना होगा, जो बीजेपी से मुकाबला करते हुए AAP के वोटों को बांट सकते हैं।
दिल्ली की राजनीति में झुग्गियों का मुद्दा अब बड़ा सियासी हथियार बन गया है, और आगामी चुनावों में यह तय करेगा कि कौन दिल्ली की गद्दी पर बैठता है।